बुधवार, 21 दिसंबर 2011

नक्षत्र न्यूज़ hindi

We are delighted to introduce ourselve as Naxatra News (Hindi) with its head quarter at Ranchi.
Naxatra news is running well for more than three years and it is available in many DTH services.
In the expansion process we are starting the Hindi version and it will also be available in DTH, for which negotiation is under progress.
The management has decided to make it available through caple services in haindi speaking states in a phased manner. The Areas taken up in the firt stage are Bihar, Jharkhand, Haryana, Punjab, Himachal Pradesh.
We have also taken proper steps for its availability in Mumbai, Banglore, Howrah and few more areas.

बुधवार, 30 सितंबर 2009

सरकार बंदुक की भाषा ही समझती है...

BBC पर प्रतिबंधित संगठन भारतिय कम्युनिष्ट पार्टी (माओवादी) के विचारकों मे से एक कोबड़ घांडी का साक्षात्कार छपा है। मैं यहाँ उसका अंश ज्यों का त्यों रख रहा हूँ। कोबड़ घांडी जी को कुछ दिन पुर्व दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मकसद किसी के पक्ष या विपक्ष मे प्रचार नही है। हम तो बस चाहते हैं कि पाठको को दोनो तरफ की बातें पढ़ने का मौका मिले। लोकतंत्र मे सच जानने का अधिकार सभी को है।

आप छत्तीसगढ़, बस्तर के इलाकों में लोगों के बीच में स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर कुछ काम कर रहे हैं!

हाँ.जैसे शिक्षा के मामले में हम स्कूलों पर नहीं सीधे शिक्षा पर काम कर रहे हैं. हम बच्चों को सामान्य विज्ञान, गणित और स्थानीय भाषा पढ़ाते हैं लेकिन हम बच्चों को वामपंथी विचारधारा के बारे में कुछ खास नहीं बताते. इसी तरह से स्वास्थ्य के मामले में हम लोगों को बताते हैं की पानी को उबाल कर पीएं. कई गैर सरकारी संगठनों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है की माओवादियों के इलाकों में मृत्यु दर में कमी आई है.

हम महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि उससे शिशु मृत्यु दर में कमी आती है. हमारे महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रयासों के कारण महिलाएं हमारी सदस्य संख्या का बड़ा हिस्सा हैं.

तो आप ये कहना चाहते हैं की आप लोगो को मार नहीं रहे उन्हें जीने में मदद कर रहे हैं ?

हाँ. लेकिन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के शब्दों में हम भीषण बीमारी हैं..

पर सरकार ग्रामीण गरीबों के सशक्तिकरण की बात करती है?

सरकार केवल बात करती है काम नहीं करती.

क्या यही कारण है की आप छत्तीसगढ़ में इतने मज़बूत हैं ?

हमारे मज़बूत होने का कारण है क हम लोगों की अस्मिता की बात करते हैं. उदाहरण के तौर पर बस्तर के लोग तेंदू पत्ता इकट्ठा करते हैं. बीड़ी अरबों रूपये का उद्योग है. देश में बीड़ी के सबसे बड़े व्यापारी प्रफुल्ल पटेल, केन्द्रीय उड्डयन मंत्री हैं.

जब नब्बे के दशक में हम छत्तीसगढ़ में आए थे तब ठेकेदार आदिवासी मजदूरों को दस रूपये रोज़ से कम का वेतन देते थे.सरकारी निर्धारित मजदूरी से कम. अब कम से कम वो उसका चार या पांच गुना देते हैं.हालांकि ये सरकारी तय मजदूरी से अभी भी कम है. ये एक कारण है जिसकी वजह से लोग हमें पसंद करते हैं.

दूसरा हमने सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जगह बनाई है. आदिवासियों को ये बहुत पसंद है वो निसंकोच यहाँ आ कर नाचते गाते हैं. वामपंथी आन्दोलन में सांस्कृतिक गतिविधियों का बड़ा महत्व है. हम इसे चैतन्य नाट्य मंच कहते हैं.

आपकी बंदूक की ताकत और लोगों को जबरन पार्टी से जोड़ने पर आप क्या कहेगें ?

मुट्ठीभर माओवादी जबरन लाखों लोगों को आपनी विचारधारा से जोड़ दें ऐसा असंभव है. दरअसल सरकार सिर्फ मओवादिओं की बंदूक की ताकत को ही बढ़ा चढ़ा कर पेश करती है। उसके सामाजिक कार्यो को दबा दिया जाता है।

अपने छापामारों के बारे में क्या कहेगें ?

मैं उसके बारे में अधिक कुछ बता नहीं सकता क्योंकि मैं छापामारी अभियानों में भाग नहीं लेता. ये एक भिन्न अंग है. यहाँ तक कि हमें लड़ाकों के संगठन के सदस्यों के नाम भी तब तक नहीं बताए जाते जब तक ज़रूरी न हों. मैं आर्थिक मामलों और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों का अध्ययन करता हूँ.

आप विकास की बात करते हैं .क्या आप इस बात के लिए तैयार हैं कि सरकार इन इलाकों का विकास करे ?

हमने कब विरोध किया है. लेकिन स्कूल भवनों के निर्माण का उदहारण दूं. भारत सरकार आम तौर पर पहले स्कूल भवनों का निर्माण करते हैं फिर वहां सेना के बैरक बना देती हैं.ऐसी सूरत में हम विरोध करेगें या फिर सड़कों को लोगों की ज़रूरतों को नहीं अपनी सामरिक ज़रुरत को ध्यान में रख कर बनाना, हम इसका भी विरोध करते हैं.

यानि आप बंदूक की राजनीति करते रहेगें ?

बंदूक मुद्दा नहीं है. सरकार बंदूक से डरती है. मैं आपको दावे के साथ बता सकता हूँ कि उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ गांवों में इतनी बंदूकें हैं जितनी माओवादिओं के पास सारे देश में नहीं हैं. सरकार को विचारधारा से डर लगता है इसलिए हमें अपराधी, देशद्रोही करार दिया जाता है.

अगर बंदूक मुद्दा नहीं है तो आप बंदूक को छोड़ क्यों नहीं देते ?

क्योंकि अगर बंदूक का डर न हो तो सरकार बस्तर के लोगों को कल निकाल कर फेंक देगी और उनकी ज़मीन को खनन कंपनियों को दे देगी. और पूरे देश में आदिवासियों के साथ यही होगा. ये देश में पहले भी हो चुका है और हो भी रहा है.

तो इस कारण से आप कभी मुख्यधारा की राजनीति में नहीं आएंगें ?

नहीं, क्योंकि हम मानते हैं कि वर्तमान व्यवस्था के भीतर इस देश में एक ऐसा प्रजातंत्र नहीं आ सकता जो लोगों का सम्मान करे.

क्या आपको लगता है कि सरकारी कार्रवाई के बाद आप अपने इलाकों में जमे रह सकते हैं ?

ये एक गंभीर लड़ाई है. पूँजीवादी और सरकार एक साथ. पर अमरीकी अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ते शोषण के चलते हमें उम्मीद है कि हम अधिक ताकतवर होंगें.